Thursday 28 July 2016

खैर
रही बात पुरानी
तो अब खुछ तब सा नहीं !
बातें , रातें 
मुस्कुराहटें
हंसी, ठिठोलें
सब पीछे छूट गये |
शायद ज़िन्दगी भी |

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