Monday 21 November 2016

बेकार बैठे रहियेगा इस तरह
हर रोज़
मेरी तरह
तो बेशक ये यादों का सिलसिला तो ज़ारी रहेगा|
दूर दराज, पन्नो में लिपटे
कुछ उस दिन का, कुछ इस मौसम का
टुकड़ा टुकड़ा
मन में मचलता रहेगा |
खोल के चित्ठों को, यूँ ही
बस आप भी
मेरी तरह
निहारते रहियेगा |
तकरारों का, ज़िद से उठी दीवारों का
एक रवइया आपका
एक रवइया मेरा भी,
रह-रह कर फिर आप भी, कहियेगा
मेरी तरह
उसने मुझे बर्बाद किया |
ये हाल जो हुआ है आपका, कुछ
मेरी तरह
आख़िर अब मान लीजिये आप भी
मामूली यादों से हमने खुद को शाद किया |
क्या बैठे हैं आप भी
बेकार में
उस बात को लिये
मेरी तरह,
चलिये जाइये |
अब मुस्कुराइये |
किसी रोज़ जो मुडियेगा उस राह पर
आप फिर
तो देखियेगा कि कहीं फिर
उलझ ना जाइयेगा
आप भी
मेरी तरह |