Monday 11 January 2016

खुशकिस्मत होते हैं वो जिनको महबूब मिलता है
वो जो कभी हंसा जाता है, कभी रुला जाता है
जो कभी आँखो में आँसू सुखा जाता है
कभी होठों पर मुस्कान अटका जाता है |
जो कभी नींदो में जगा कर, दिन में सपने दिखा जाता है
जो ढलते दिन को भी शाम हंसी बना जाता है |
खुशकिस्मत होते हैं वो जिनसे घड़ी घड़ी
उनका महबूब मिलने आ जाता है |
घुल जाता है जिनका महबूब उनमे
जैसे भरे समंदर में नमक का स्वाद आता है
खुशकिस्मत होते हैं वो जिनके महबूब के लबों पर
घड़ी घड़ी उनका नाम आता है |

महबूब वो नहीं जो खुशबू सा आए और बह जाए
महबूब तो वो होता है जो आता है, ठहर जाता है |
महबूब नहीं वो समंदर जिसका किनारा होता है
महबूब तो वो दरिया है जो इठला कर बहता जाता है |
खुशकिस्मत होते हैं वो जिनका महबूब उनसे मिल जाता है |

खुशकिस्मत होते हैं वो जिनका महबूब हवा में लिपटा
घड़ी घड़ी उनको छू जाता है
कठिन राहों में भी
नवाबों सा चलता जाता है |

अजब है इश्क़ उनका जिनका महबूब उनसे मिलकर बिछड़ जाता है
महबूब तो वो है जो जाकर भी दिल में महफूज़ रह जाता है |

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