Saturday 22 November 2014

*बाल विवाह*
उससे पूछा नहीं था जब उसकी बाली उम्र मे ही उसका ब्याह रचा दिया था | उससे तो बस इतना कहा था की उसका भी इस खेल में उसकी गुड़िया की तरह, उस "गुड्डे" से ब्याह हो रहा था| और वो नासमझ भी उस खेल का हिस्सा बनने के लिए खुशी खुशी राज़ी हो गयी थी | उसे क्या पता था कि वो उसकी ज़िंदगी का आख़िरी खेल बन जाएगा |
कि शायद उसके बाद उससे उसकी गुड़िया भी उससे छिन जाएगी | और फिर उसके हाथों में चाभियाँ और चूल्‍हे की 'फुकनी' थमा दी जाएगी |
मालूम होने पर वो शायद इतने चाव से उस रोज़ त्यार ...ना होती | अपने नये लहंगे को पहन माँ को बार बार ना दिखती | अपनी सखियों को लेजाकर अपने बचपन के ख्वाबों को उजाड़ने के लड्डू तो कभी ना खिलती | रोकर घर में ही हमेशा की तरह फिर कहीं चुप जाती | अपनी गुड़िया संग जाकर फिर ताल के किनारे बैठ जाती| या फिर बिदाई में खुशी से बाबा को गले लगाती | उसे तो बस उस समय गाड़ी मे बैठने का शौक था | या फिर किसी ने बस उसे इतना ही बताया होता कि पारो की तरह उसका भी गुड्डा हमेशा के लिए उसे उसके गाँव से दूर लेजाएगा, तो शयड वो कभी राज़ी ही ना होती | रो रो कर फिर सर घर पर उठा लेती | हर ज़िद कि तरह इसको भी मनवा लेती |
उस रोज़ उसे क्या मालूम था की उसका आँगन उससे छिन रहा था | वो अपनी सखियों से बिछड़ रही थी | उसको तो खबर भी ना थी कि वो अपने माँ का पल्लू छोड़ के जा रही थी | वो तो बस घर आए मेहमानो को देख कर इसलिए खुश थी क्यूँ कि उसको खेलने के लिए उसकी हमउम्र के बच्चे मिल गये थे| अफ़सोस तो बस इस बात का था कि जिस सिंदूर को रोज़ माँ की माँग में देख वो सवाल पूछती थी, उसी सिंदूर ने उसका लड़कपन उससे छीन लिया | वो तो बस अपने गुड्डे के साथ उस महल में जाना चाहती थी जहाँ उसकी दादी ने कहा था कि उसे अच्छे अच्छे पकवान खाने को मिलेंगे | अच्छे कपड़े मिलेंगे | एक नयी गुड़िया मिलेगी | नयी चोली ओढना चाहती थी |
उसे किसी ने ये नहीं बताया था कि वहाँ जाकर वो अपने अम्मा-बाबा से दूर हो जाएगी | फिर कभी अपने स्कूल नहीं जा पाएगी | उसकी माँ वहाँ उसे खाना नहीं खिलाएगी | वहाँ उसकी सखियाँ ना होंगी | ना ही वो अपने समय पर सो पाएगी |
अब तो बस उसको चूल्हा चौका करना था | कपड़े धुलने थे | कोठरी में अकेले बैठ कर घर जाने को रोना था | लोगों के ताने सुनने थे | काम कर के भी 'कलमूहि' कहलाना होगा | फिर कभी बाबा संग बाज़ार ना जाना होगा | अपनी गुड़िया को छुपा कर अलमारी में रखना होगा | अपने नाज़ुक हाथों कर छड़ियाँ खानी होंगी |
और उसे खुद १० साल की होकर, २० साल के गुड्डे के अरमान पूरे करने होंगे |

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