बरसो दबा कर रखा था
खत में मैने
नाम तेरा
पन्नो को पलट कर
होता था ऐतबार तेरा
कभी अकेलेपन में तो
कभी भीड़ में
जब भी लगता था तुम आओगे
तो खतों को समेट कर
अक्सर तुमसे मुलाकात
किया करते थे|
देर सबेर कभी
जब खुद से नफ़रत होती थी
तब भी
इन खतों मे दबे नाम से
हम छुप कर
प्यार किया करते थे |
खत में मैने
नाम तेरा
पन्नो को पलट कर
होता था ऐतबार तेरा
कभी अकेलेपन में तो
कभी भीड़ में
जब भी लगता था तुम आओगे
तो खतों को समेट कर
अक्सर तुमसे मुलाकात
किया करते थे|
देर सबेर कभी
जब खुद से नफ़रत होती थी
तब भी
इन खतों मे दबे नाम से
हम छुप कर
प्यार किया करते थे |
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