Ainak
Monday, 1 December 2014
कभी खुदगर्ज़ी से उपर उठकर देखना,
इंसानियत में अपना ही मज़ा है,
कभी मुर्दों को जगा कर पूछना,
जीने का भी अपना ही मज़ा है |
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