Thursday 17 December 2015

साड़ी में लिपटी लज्जाए
अम्मा सबको बड़ा भाए
तन की गोरी, मन की भोली
प्रेम की मूरत, खिलती सूरत
आँखों में दुनिया बसाए
मीठी मीठी बात सुनाए |
माँग में उसके सिंदुरा सोहे
पाँव में उसके पायल होवे
पल्लू में सपने दबाए
अम्मा सबको बड़ा भाए |
साड़ी में लिपटी लज्जाए
अम्मा सबको बड़ा भाए
कानो में बाली, मेले वाली
पापा जो इसको दिलाए
उसे बड़ा भाए, पहने इठलाए
सबको दिखलाए
अम्मा लज्जाए
सबको बड़ा अम्मा भाए |
झोली उसकी, जन्नत की डोरी
बिटिया को लोरी सुनाए
पराया उसे कह ना पाए
अम्मा छुप छुप आँसू बहाए |
रसोई में दिन भर बिताए
अम्मा कह ना किसी को पाए
साड़ी में लिपटी लज्जाए
अम्मा, सबको बड़ा भाए
उसकी ममता उसका गहना
सबका दुखड़ा उसका अपना
अपने दर्द छिपाए
अम्मा कह कह रुक जाए |
लल्ला को जो दुख होवे तो
गोद में सीने लगाए
उसके दुख बिसराए
अम्मा उसको बड़ा भाए |
साड़ी में लिपटी लज्जाए
अम्मा, सबको बड़ा भाए

No comments:

Post a Comment